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ThePrintSuprabhat: #ThePrintSuprabhat में सौरव रॉय बर्मन @Sourav_RB की रिपोर्ट: लोकसभा स्पीकर के चुनाव के लिए विपक्ष ने कसी कमर, ओम बिरला के खिलाफ कोडिकुन्निल सुरेश को मैदान में उतारा

ThePrintSuprabhat: #ThePrintSuprabhat में सौरव रॉय बर्मन @Sourav_RB की रिपोर्ट: लोकसभा स्पीकर के चुनाव के लिए विपक्ष ने कसी कमर, ओम बिरला के खिलाफ कोडिकुन्निल सुरेश को मैदान में उतारा

Released Wednesday, 26th June 2024
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ThePrintSuprabhat: #ThePrintSuprabhat में सौरव रॉय बर्मन @Sourav_RB की रिपोर्ट: लोकसभा स्पीकर के चुनाव के लिए विपक्ष ने कसी कमर, ओम बिरला के खिलाफ कोडिकुन्निल सुरेश को मैदान में उतारा

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Wednesday, 26th June 2024
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0:08

सुप्रभात आपको

0:12

पढ़कर सुना रही हूँ भद्रा सिन्हा

0:14

की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक

0:17

फैसले में राजद्रोह कानून निलंबित किया

0:19

उम्मीद और अपेक्षा सरकार इस

0:21

पर अमल करना बंद कर देंगी सुप्रीम

0:23

कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह और कानून

0:25

भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की

0:28

धारा एक सौ चौबिस ए के

0:30

तहत आरोपी संबंधी सभी लंबित है

0:33

तीनों और कार्यवाही पर तब तक के

0:35

लिए रोक लगा दी जब तक कि

0:37

केंद्र अपने प्रावधानों को फिर से परखने

0:39

की कवायद पूरी नहीं कर लेता है

0:42

चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली

0:44

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच

0:46

ने यह भी कहा कि न्याय के

0:48

हित में उसे उम्मीद और अपेक्षा है

0:50

कि जब तक कानून विचाराधीन है राज्य

0:52

और केंद्र आईपीसी की धारा एक सौ

0:55

चौबिस ए के तहत कोई

0:57

नई प्राथमिकी दर्ज करने जांच जारी

0:59

रखने या कोई अन्य सख्त कदम

1:01

उठाने से परहेज करेंगे राष्ट्र और

1:04

नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा और अखंडता

1:06

संतुलित करने जिसे कोर्ट ने एक

1:08

कठिन प्रक्रिया बताया है उसके लिए

1:10

बेंच ने कहा कि यदि कोई

1:12

नया मामला दर्ज किया जाता है

1:14

तो प्रभावित पक्ष उचित राहत के

1:17

लिए संबंधित कोर्ट का दरवाजा खटखटाने

1:19

के लिए आजाद होगा बेंच

1:21

ने आदेश में कहा है कि ऐसी

1:23

स्थिति में अदालतों से अपेक्षा है कि

1:26

वह सुप्रीम कोर्ट के बुधवार के आदेश

1:28

को और कानून की समीक्षा को लेकर

1:30

भारत सरकार के स्पष्ट रुख के

1:32

मद्देनजर मांगी गई राहत पर विचार

1:35

करेंगे उन मामलों

1:37

के संदर्भ में जहां राजद्रोह का

1:39

आरोप आईपीसी के अन्य धाराओं के

1:41

साथ लगाया गया है पीठ ने

1:43

कहा कि अदालतें अन्य धाराओं के

1:45

तहत कार्यवाही जारी रख सकती

1:47

है विक्टोरियन युग के राजद्रोह कानून

1:50

के तहत कारावास या जुर्माना या

1:52

दोनों का दंड निर्धारित है और

1:54

ऐसा कोई भी शब्द चाहे बोले

1:56

गए हों या लिखे गए हों

1:58

या संकेतों द्वारा अथवा या

2:03

इसका प्रयास साबित हो अथवा भारत

2:05

में वेद सरकार के प्रति उत्तेजना

2:08

फैलाने का कारण यह प्रयास बनी

2:10

इसके दायरे में आते हैं गौरतलब

2:12

है कि बेंच ने कानून की

2:14

संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली

2:16

कई याचिकाओं को स्वीकार किया था

2:18

इसके जवाब में केंद्र ने सोमवार

2:20

को एक हलफनामा दायर किया जिसमें

2:22

उसने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि

2:25

कानून पर अमल और दुरुपयोग को

2:27

लेकर की जाने वाली आलोचना के

2:29

मद्देनजर उसने आईपीसी की धारा एक

2:31

सौ चौबिस ए के तहत प्रावधानों

2:34

के फिर से समीक्षा का फैसला

2:36

किया है इसलिए उसने बेंच से

2:38

मामले में सुनवाई पर रोक लगाने

2:40

का आग्रह किया सॉलिसिटर जनरल

2:42

तुषार मेहता ने मंगलवार को केंद्र

2:44

सरकार के हलफनामे का हवाला देते

2:46

हुए शीर्ष स्तर पर लिए सरकार

2:49

के फैसले को रेखांकित किया और

2:51

बेंच से सुनवाई स्थगित करने को

2:53

कहा याचिका कर्ताओं ने इस अपील

2:55

का विरोध किया और दलील दी

2:57

कि केंद्र के किसी अंतिम नतीजे

2:59

तक पहुंचने से पहले इस कानून

3:01

के तहत और गिरफ्तारियों पर रोक लगाई

3:04

जाए के

3:08

मेहता के अनुरोध पर सहमति जताई

3:10

और माना कि केंद्र की तरफ

3:12

से इस दिशा में गंभीर कोशिशें

3:14

की जा रही हैं लेकिन साथ

3:16

ही याचिकाकर्ताओं की चिंता को भी साझा

3:18

किया कोर्ट

3:20

ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि जिन लोगों

3:22

के खिलाफ धारा एक सौ चौबिस ए के

3:25

तहत पहले से मामले दर्ज हो चुके हैं

3:27

केंद्र उनके हितों की रक्षा कैसे करेगा

3:29

और क्या समीक्षा जारी रहने तक

3:31

कानून को स्थगित रखा जा सकता

3:33

है केंद्र के हलफनामे को संज्ञान

3:35

में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने

3:37

बुधवार को अपने आदेश में कहा कि

3:40

यहां तक कि सरकार ने भी पूर्व

3:42

में बेंच के इस विचार से सहमति

3:44

जताई थी कि धारा एक सौ चौबिस

3:46

जैसे कठोर प्रावधान मौजूदा सामाजिक परिदृश्य

3:48

के अनुरूप नहीं हो सकते और

3:50

यह कानून उस समय था जब

3:53

देश औपनिवेशिक शासन के अधीन था

3:55

बेंच ने कहा कि उसी के

3:57

आलोक में भारत का कानून के उपरोक्त

4:00

प्रावधानों पर पुनर्विचार कर सकता है

4:02

साथ ही मामले में अटॉर्नी जनरल

4:04

केके वेणुगोपाल की तरफ से पिछले

4:06

हफ्ते पेश तथ्यों को भी संज्ञान

4:09

में लिया पीठ की सहायता के

4:11

लिए आए वेणुगोपाल ने पिछले महीने

4:13

मुंबई में सांसद नवनीत कौर राणा

4:15

और उनके विधायक पति रवि राणा

4:17

की गिरफ्तारी का हवाला देते हुए

4:20

इस कानून के दुरुपयोग का एक

4:22

उदाहरण बताया राणा दंपत्ति को महाराष्ट्र

4:24

के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास

4:27

के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ

4:29

करने की कथित ऐलान के बाद गिरफ्तार

4:31

किया गया था कोर्ट ने

4:33

कहा इसीलिए हमें लगता है कि जब

4:35

तक केंद्र की तरफ से प्रावधान की

4:37

समीक्षा पूरी नहीं हो जाती तब तक

4:40

भारत संकेत स्पष्ट रुख को देखते हुए

4:42

कानून का उपयोग जारी नहीं रखना

4:44

ही बेहतर होगा साथ ही धारा

4:46

एक सौ चौबिस का दुरुपयोग रोकने

4:48

के लिए राज्यों और केंद्र शासित

4:50

प्रदेशों को निर्देश जारी करना केंद्र पर

4:52

छोड़ दिया है कोर्ट ने कहा कि

4:54

ऐसे निर्देश अगला आदेश पारित होने तक

4:57

जारी रह सकते हैं बुधवार

4:59

को अपनी दलीलों से शुरुआत करने

5:01

वाली मेहता ने कानून पर अमल

5:03

स्थगित करने की सूझी का जवाब

5:05

दिया उन्होंने कहा कि आरोपी के

5:08

मुताबिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट

5:10

की संविधान पीठ ने उन्नीस सौ

5:12

बासठ में बरकरार रखा था उसके

5:14

तहत किसी संज्ञेय अपराध की स्थिति

5:16

में मामले दर्ज किए जा सकते

5:18

हैं उन्होंने आगे कहा कि दो हज़ार

5:21

इक्कीस में विनोद दुआ मामले में सुप्रीम

5:23

कोर्ट की ओर से जारी दिशा निर्देश

5:25

पर ईमानदारी से अमल के लिए राज्यों

5:27

को निर्देश भेजने के लिए

5:29

तैयार है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने

5:31

एक यूट्यूब शो को लेकर दिवंगत

5:33

पत्रकार के खिलाफ राजद्रोह का मामला

5:35

दर्ज किया था साथ ही उन्होंने

5:37

कहा कि थी निर्देश भी जारी किए जाएंगे

5:39

की धारा एक सौ [unk] के

5:41

तहत पुलिस अधीक्षक की मंजूरी के

5:43

बिना प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी

5:46

जो राजद्रोह के आरोप में किसी

5:48

व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किए

5:50

जाने का कारण बताएगा मेहता ने

5:52

बेंच को बताया कि अगर मामला

5:54

किसी कोर्ट में जाता है तो

5:56

वो एसपी जिम्मेदार होंगे एक बार

5:58

अगर कोई मामला संगीन अपराध साबित

6:00

हो गया और संविधान पीठ ने उसे

6:03

वैध मान लिया कि सरकार या अदालतें

6:05

अंतरिम आदेश के जरिए उस पर रोक

6:07

नहीं लगा सकती है पेंडिंग

6:10

मामलों पर मेहता ने बेंच से

6:12

अदालतों को जमानत आवेदन जल्द निपटाने

6:15

का निर्देश देने को कहा उन्होंने

6:17

कहा कि मुकदमे की सुनवाई के

6:19

दौरान प्राथमिकी में शामिल कथित

6:21

अपराधों की गंभीरता जाने बिना

6:23

मामलों की सुनवाई कर रहे

6:25

जजों के न्यायिक विवेक पर सवाल

6:27

खड़े करना उचित नहीं हो सकता मेहता

6:29

ने कहा कि कोई [unk] ही अन्य

6:32

आदेश पारित करना वस्तुत एक ऐसे

6:34

प्रावधान के अमल पर रोक लगाने

6:36

के बराबर होगा जिसे संविधान पीठ

6:38

ने बरकरार रखा था साथ ही

6:41

बताया कि केंद्र जुलाई से पहले

6:43

अपनी समीक्षा प्रक्रिया पूरी करने में

6:45

सक्षम नहीं होगा सॉलिसिटर जनरल ने

6:47

आगे तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट

6:49

के समक्ष याचिका देने वालों में भी

6:51

कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिनके

6:53

खिलाफ इस अपराध का आरोप लगाया गया

6:55

हो मेहता ने तर्क दिया कि किसी

6:57

संज्ञेय अपराध के संदर्भ में किसी तीसरे

7:00

पक्ष की तरफ से दाखिल जनहित याचिका

7:02

के और सरकार पर कोई अंतरिम

7:04

आदेश पारित करना एक नजीर बन

7:06

जाएगा इसी तरह की

7:08

और खबरों के लिए अब जुड़े रहे हैं

7:10

द प्रिंट किसी

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