सुख के हजार रंग हैं तो दुख भी कई रंग हैं। रंग पक्के भी होते हैं और कच्चे भी। हर रंग सब पर एक सा नहीं खिलता, ना ही देर तक टिकता ही है। अंधेरे में जो तस्वीर दिखती है, असल में कुछ और ही होती है। हमारी उम्मीदें, हर रंग को बदल देती हैं। असली रंग प्यार और भरोसे की रोशनी में चमकते हैं। होली के मौके पर जिं़दगी में खुशियों के रंग कैसे लाएं, तेरी मेरी बात में इसी पर बात
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