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आज़ादी के आंदोलन से निकले, बहुआयामी प्रतिभा के धनी राममनोहर लोहिया पक्के कांग्रेसी हुआ करते थे. फिर वह गैर-कांग्रेसवाद के पर्याय कैसे बने? पंडित जवाहर लाल नेहरू से उनकी राजनीतिक कशमकश क्यों चलती थी? नामी गिरामी में इस बार समाजवाद की एक नायाब परि
उमर शरीफ़ पाकिस्तान के जाने माने कमेडियन थे और उनके चाहने वाले पूरे उपमहाद्वीप में मिल जाएंगे. उनके मज़ाकिया अंदाज़ को आज के कमेडियन फॉलो करते हैं. कहते हैं वो पाकिस्तान में चुटकुला कहते थे और कहकहे भारत में लगते थे. 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड
सत्ता के बेहद करीब रहकर भी व्यक्तिगत तौर पर हमेशा ईमानदार रहे के कामराज यानी कुमारस्वामी कामराज भारतीय राजनीति में एक अद्भुत घटना थे. कोई उन्हें पॉलिटिकल मैनेजमेंट का उस्ताद कहता है, कोई उन्हें किंगमेकर कहता है. देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले का
आज़ादी की लड़ाई में मैडम भीकाजी कामा का नाम एक ऐसी महिला क्रांतिकारी के रूप में दर्ज है, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूती दिलाई. वो खुलकर हिंसक आंदोलन की हिमायत करती थीं. सुनिए 'नामी गिरामी' में उनका सफ़रना
'काका हाथरसी' ऐसे जनकवि हैं,जो व्यवस्था और उसे चलाने वालों पर कविता की चाशनी में लिपटे ऐसे तीखे व्यंग्य बाण छोड़ते थे कि जिस पर निशाना साधा जा रहा था, उसको भी मुस्कुराना ही पड़ता था. आम से लेकर ख़ास आदमी किसी को वो नहीं छोड़ते थे. काका हिंदी वि
नूर जहां पाकिस्तान की वो फ़नकारा का थीं जो भारत में रहतीं तो लता मंगेशकर की जगह होतीं. वे ऐसी साहसी कलाकार भी थीं जिन्होंने सरकार के कार्यक्रम में फ़ैज़ की नज़्म सुनाने की हिम्मत की जिनसे सरकार नफ़रत करती थीं. और गाने के साथ-साथ उन्होंने अपने अ
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और विचारक थे. उन्हें भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त है. उनके जीवन से जुडे़ प्रसंग 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में लेकर
16वीं शताब्दी में राजस्थान के शाही परिवार में जन्मी मीरा बाई सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहस्यवादी कवयित्री थीं. उन्होंने हिंदी साहित्य के स्वर्णिम युग को अपनी रचनाओं से समृद्ध किया और जिस श्रद्धा-प्रेम से भगवान कृष्ण की भक्ति की वैसी न किसी ने उनसे प
13वीं सदी की शुरुआत में उत्तर-पश्चिमी एशिया में छोटे से कबीले से निकले चंगेज़ ख़ान को दुनिया एक क्रूर शासक के तौर पर जानती है. उसने लाशों के ढेर पर चढ़कर विजय पताकाएं फ़हराईं और दुनिया के कम से कम पांचवे हिस्से तक अपना कब्ज़ा कर लिया. उसके सामन
अरविंद घोष को उनके पिता 'अंग्रेज़' बना देना चाहते थे. लेकिन उनसे देशवासियों का दर्द देखा नहीं गया. देश सेवा के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की सबसे सम्मानित नौकरी ठुकरा दी और क्रांतिकारी बन गए. लेकिन कालांतर में इस गरम मिज़ाज के क्रांतिकारी ने अ
शिवमंगल सिंह सुमन हिंदी साहित्य में एक जाना-माना नाम है. प्रगतिशील लेखन के अग्रणी कवि सुमन स्वतंत्रता, देशभक्ति और स्वाभिमान पर काफी ओजस्वी रहे हैं. उन्हें दिनकर, नागार्जुन जैसे कई नामचीन और बड़े कवियों के समकक्ष खड़ा किया जाता है. 'नामी गिराम
वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने श्रीलंका में तमिलों की आवाज़ उठाई लेकिन इस आवाज़ की आड़ में जमकर आतंक का शोर भी मचाया. उसके संगठन LTTE ने भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी, श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा समेत न जाने कितने ही लोगों की हत्या की है, बावजू
28 जनवरी, 1865 को पंजाब के फिरोज़पुर ज़िले के धुडीके गांव में पैदा हुए लाला लाजपत राय ने स्वंत्रता की लड़ाई में अहम योगदान दिया था. वे कांग्रेस के गरम दल के अहम नेता थे और उन्होंने आज़ादी के हमेशा उग्र रवैया अपनाने की हियामत की. 1928 में साइमन कम
98 साल का लंबा जीवन जीने के बाद बॉलीवुड का सबसे दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार 7 जुलाई को इस दुनिया से रुख़सत हो गया. उन्हें मेथड एक्टिंग का माहिर और अभिनय का स्कूल कहा जाता है. इस बार 'नामी गिरामी' में अमन गुप्ता लेकर आए हैं फ़नकार दिलीप कुमार का स
26 दिसंबर 1976 को जन्मे कैप्टन विजयंत थापर आर्मी की 2 राजपूताना राइफल रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट तैनात हुए थे. विजयंत की बटालियन ने जब 13 जून 1999 को तोलोलिंग जीता, तो वो कारगिल में हिंदुस्तानी फौज की पहली जीत थी. सुनिए उस जीत और कैप्टन विजयं
जॉन मैकेफ़ी, दुनिया का सबसे पहला कमर्शियल एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर बनाने वाला शख़्स. उसने बेशुमार दौलत बनाई, अमेरिका के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी भी ठोंकी और फिर नशे और तमाम ग़ैर क़ानूनी-ग़लत कामों के सहारे खुद को और अपने बने बनाए नाम और शोहरत को
'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर रहे एथलीट मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं रहे. पाकिस्तान में पैदा हुए मिल्खा सिंह का जीवन मुश्किलों से भरा रहा. बंटवारे के दंगों में उन्होंने अपने मां-बाप खोए, जीवनयापन के लिए जूते पालिश किए, यहां तक कि ट्रेनों में चोरी
सुरिंदर कौर पंजाबी संगीत की दुनिया में दूसरी लता मंगेशकर कही जाती हैं. लोग उन्हें पंजाब की कोयल के नाम से जानते हैं. सुनिए उनका सफ़रनामा 'नामी गिरामी' के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ.
शास्त्रीय गायन की दुनिया में राजन-साजन की जोड़ी को कोरोना संक्रमण ने तोड़ दिया. पं. राजन मिश्रा का 24 अप्रैल 2021 को निधन हो गया. उनके छोटे भाई साजन मिश्रा को तो ये दुख उम्र भर सालता ही रहेगा लेकिन उनके शानदार सहगायन के रसिकों जनों के लिए भी ये
कैप्टन मनोज पांडे, यूपी का 24 साल का लड़का, जो जन्म से गोरखा नहीं था लेकिन जब भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में बतौर कैप्टन पोस्टेड हुआ तो मौत का खौफ़ भी ग़ायब हो गया. कैप्टन मनोज ने कारगिल युद्ध में खालोबार पोस्ट से दुश्मनों को खदड़ने में अपनी
चिपको आंदोलन के नेता और प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा नहीं रहे. वो अपने पीछे सामाजिक संघर्षों की कई गाथाएं छोड़ गए हैं. गांधीवादी विचारों वाले बहुगुणा का जीवन समाज और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर काम करते हुए बीता और देशभर के सामाजिक कार
करुणानिधि का जन्‍म 3 जून 1924 को हुआ था. राजनीति में आने से पहले वे एक फिल्‍म पटकथा लेखक रहे. लेकिन फिल्‍मों की यह दुनिया उन्‍हें ज्‍यादा दिनों तक रास नहीं आई और वे दक्षिण भारत के बड़े सामाजिक प्रभाव वाले नेता बन गए. 8 दशक तक तमिल राजनीति में उ
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह बागपत से 7 बार सांसद रहे और केंद्र में कई मंत्री पद संभाले. उनकी छवि एक कद्दावर जाट नेता की रही. सुनिए उनका सफ़रनामा नामी गिरामी के इस एपिसोड में अमन गुप्ता के साथ.
3 अप्रैल 1948 को भोपाल में जन्मे मंजूर एहतेशाम साहित्य जगत की मशहूर शख़्सियत रहे हैं. उन्होंने पांच उपन्यास समेत कई कहानियां और नाटक लिखे हैं. उन्हें साल 2003 में पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया था. अमन गुप्ता इस बार 'नामी गिरामी' में लेकर आए हैं
दुनिया भर में नर्सिंग के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए जिस महिला को याद किया जाता है. उसका नाम है फ्लोरेंस नाइटिंगेल. फ्लोरेंस संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की ओर ध्यान दिलाकर साफ़ सफाई की महत्ता को समझाया और मार्डन नर्सिंग की नींव रखी.
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