श्रीमद्भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का अवतार हुआ भगवान कृष्ण का मुख का तेज ऐसा कि देवो के देव महादेव भी खुद को रोक नहीं पाए, आ गए साधु का रूप घारण कर बाल गोपाल को देखने, शिव आए यशोदा के द्वार मात मोहे दर्शन कराओ कैलाश पर्वत से आया हूं घर तेरे जन्मा है जीवन का दाता जग का विधाता लालन को ले आओ.
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