बाल कृष्ण के भोलेपन ने जन जन का मन मोह रखा है। जहां कान्हा का जन्म हुआ, उनका बचपन बीता उस आज के मथुरा और वृंदावन की यात्रा आपको करवाने जा रहे हैं। कान्हा की मस्तीभरी कहानियाँ के पहले सीजन की आखिरी कड़ी में कुछ अनूठे किस्सों के साथ सुनिए, “कान्हा
मथुरा में प्रवेश करने और अपनी लीलाओं को नगर वासियों को दिखाने के बाद क्या कृष्ण और बलराम अपने मामा कंस द्वारा उन्हे मार डालने की योजनाओं का सामना कर पाए। कैसे वे कुवलीयापीड हाथी और धुरंधर पहलवानों को पस्त कर कंस का अंत कर पाए, सुनिए कान्हा की म
गोपियों और मैया को समझा कर, अक्रूरजी के साथ कान्हा मथुरा पहुचे। कैसा रहा उनका मथुरा नगर में प्रवेश, क्या कान्हा की मस्ती भरी लीलाओं के दर्शन मथुरा वासी भी कर पाए? कंस को कृष्ण के पराक्रम का कैसे पता लगा? मथुरा से कान्हा की मस्तीभरी कहनियाँ में
कंस ने अक्रुर को वासुदेव के दोनों पुत्रों, कृष्ण और बलराम को मथुरा ले आने के लिए वृंदावन भेजा। वृंदावन पहुँचने पर जैसा अक्रूरजी ने सोचा था, क्या उनका वैसा ही स्वागत हुआ, क्या उन्हे वह मान मिला? अब बृज का लाड़ला मथुरा जा रहा है, यह सुन कर गोपियों
कृष्ण के बारे में जानने के बाद एक तरफ कंस ने कूटनीति के साथ अक्रूरजी को कृष्ण और बलराम को लिवाने मथुरा से वृंदावन भेजा। दूसरी ओर अपने दो मायावी असुरों, केशी और व्योम को भी कृष्ण को मारने के लीये भेज दिया। क्या कान्हा उनका मुकाबले कर पाए? कैसी र
अजगर बने विद्याधर ने नन्द बाबा को दबोच लिया, कैसे कान्हा ने अपने बाबा को छुड़ाया? कंसमामा ने भी एक और असुर को कान्हा को मारने के लीये भेज दिया। किस रूप में आया अरिष्ठासुर और कान्हा ने किस तरह उसका उद्धार किया, सुनिए कान्हा की मस्तीभरी कहानियाँ म
शरद ऋतु की रात, उसमें कान्हा, गोपियों के निश्चल प्रेम को परखने के लीये क्या लीलाएँ रची? क्या गोपियों को कान्हा का साथ सिर्फ अपने लीये मिल पाया? क्या शरद ऋतु की रासलीला, गोपियों के लीये एक अविस्मरणीय रात या रातें बन पायी?जानने के लिए सुनिए कान्
बालरूप हो या किशोर रूप, हाथों में बाँसुरी और बालों में मोरपंख, कान्हा की छवि इन के बिना अधूरी है। यह दोनों कान्हा के इतने प्रिय क्यों हैं? वैसे क्या आप जानते हो कान्हा की बाँसुरी से गोपियों को बड़ी ईर्ष्या थी। जानने के लिए सुनिए कान्हा की मस्तीभ
कान्हा, उनकी प्यारी मुरली और साथ ही वृंदावन में वर्षा और शरद ऋतु का आगमन्। किस तरह वहाँ का मौसम, वहाँ की धरती और वन इन ऋतुओं में अपने आप को बदल रहे थे। ऐसे में कान्हा के लिए गोपियों के मन के भावों को भी सुनते हैं, कान्हा की मस्ती भरी कहानियाँ म
नन्द बाबा को उनकी एक भूल के लिए वरुणलोक में कैद कर लियस गया। कान्हा ने अपने बाबा को कैसे छुड़ाया? नन्द बाबा से अपने लाडले कान्हा की इस लीला का वर्णन सुनकर ग्वालों की इच्छा को कान्हा ने कैसे पूरा किया? सुनिए लीला, “ग्वालों का वैकुण्ठ दर्शन” कान्ह
कान्हा ने नन्द बाबा और वृंदावन वासियों को इन्द्र देवता की पूजा, यज्ञ न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए मना लिया। क्या इन्द्र देवता अपने इस अपमान को सह सके? किस तरह कान्हा ने इन्द्र के प्रकोप का सामना करके हम सभी को अपने कर्म को सही ढंग से करन
कालिय मर्दन के तुरंत बाद वृंदावन वासियों को ग्रीष्म ऋतु में वन में उत्पन्न होने वाली भीषण अग्नि, दावाग्नि का सामना करना पड़ा। कैसे कान्हा ने बड़ी सरलता से उससे सभी की रक्षा की? कंस के भेजे हुए, प्रलंब असुर ने बलराम को अपने निशाना बनाया, क्या बलरा
कृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई असुर भेजे, और कान्हा ने उन सभी को उनके बुरे कर्मों की सजा देकर उनका उद्धार किया। लेकिन इन असुरों के अलावा भी कान्हा ने कई प्राणियों को अपने सही कर्मों को करने लिए सजा देते हुए सीख दी। कान्हा की मस्ती भरी कहानियाँ
कान्हा और उनके दाऊ, बलराम ने मिलकर किस तरह धेनुक असुर के डर से सबको मुक्ति दिलायी? कैसे धेनुकासुर को मार कर वृंदावन के जंगल में मंगल कर दिया ? सुनिये कान्हा की मस्ती भरी कहानियां में कान्हा की एक और लीला “धेनुकासुर का वध”।Tune in to Kanha Ki M
अघासुर की मौत के बाद बाल् गोपालों ने वन से वापस आने के बाद वृंदावन में कीसी को भी नहीं बताया की कान्हा ने कैसे उन सबकी जान मचायी। इतनी बड़ी बात और उसकी कोई चर्चानहीं? क्या इसके पीछे भी कान्हा की एक और लीला है? जानने के लीये सुनिए कान्हा की मस्त
अपने ग्वाल मित्रों को बचाने और कंस के भेजे हुए असुर अघ के गुस्से को शांत करने के लिए कान्हा ने क्या लीला रची। अपने सभी मित्रों को और बछड़ों को क्या कान्हा बचा पाये? क्या सभी सकुशल वृंदावन पहुँच पाए? जानने के लिए सुनिये कान्हा की मस्ती भरी कहानिय
वृंदावन में नए सिरे से जीवन शुरू करने पर भी, कंस के असुरों से छुटकारा नहीं मिल पाया। लेकिन कान्हा के लिए तो जैसे ग्वालबालों के साथ जंगल में बछड़े चराना, खेलना जरूरी था, उसी के साथ असुरों का उद्धार करना भी वैसा ही एक और काम था। जानते हैं कान्हा न
कंस के भेजे हुए असुरों से कान्हा को बचाने के लिए नन्द बाबा, यशोदा मैया के साथ सभी गोकुलवासी चिंतित थे। कान्हा सबका लाड़ला जो था। सभी ने आपसी सलाह से एक नई जगह अपना बसेरा बसाने की तैयारी की। कैसे पहुचे वहाँ, सुनिए कान्हा की मस्तीभरी कहानियाँ में
माखन की मटकियाँ, ग्वालबालों की टोली और ढेर सारी नटखट मस्तियाँ, हर एक किस्सा कान्हा की मासूमियत और अपार स्नेह से हमें परिचित करवाती है। हर एक शरारत के पीछे कोई न कोई बड़ा उद्देश्य। माखनचोर नंदकिशोर, कान्हा की मस्ती भरी कहानियाँ की ऐसी ही एक कड़ी
कान्हा की शरारतों से परेशान यशोदा मैया ने एक बार उन्हे ऊखल से बड़ी मुश्किल से बांध तो दिया, लेकिन फिर भी कान्हा कहाँ एक जगह टिकने वाले थे, उसी ऊखल के साथ उन्होंने एक और लीला रच डाली। सुनिए ऊखल से बंधने और उससे खुलने तक की मजेदार लीला कृष्ण दामो
यशोदा मैया का लाड़ला लल्ला यूं तो माखन मस्ती से खाता, लेकिन उसी के साथ, उसे मिट्टी भी कहानी शुरू कर दी। अब दाऊ भैया की शिकायत के बाद, मैया की डांट से कैसे बचे कान्हा? कौन सी लीला कर ली उन्होंने मैया के साथ? सुनिए कान्हा की मस्ती भरी कहानियाँ में
कंस ने अपने आप को बचाने और कान्हा को मारने के लिए अपने एक और असुर, तृणावर्त को भेजा गोकुल में। किस रूप में आया त्रणावर्त और कान्हा ने कैसे किया उसका उद्धार? जानने के लिए सुनिए तृणावर्त का उद्धार, कान्हा की मस्ती भरी कहानियाँ में |Tune in to Ka
पूतना के उद्धार के समय कान्हा थे 6 दिन के। अब जिस दिन उन्होंने पहली करवट ली, गोकुल में फिर उत्सव मनाया गया। क्या हुआ उस उत्सव में, क्या किया कान्हा ने बैलगाड़ी के साथ? यह जानने के लीये हम भी उस उत्सव में चलते हैं और सुनते हैं, कान्हा की मस्ती भर
कृष्ण का जन्म हुआ कारागार में, फिर जन्मोत्सव कहाँ हुआ? कौन शामिल थे उसमें? और जन्म के कुछ दिन बाद ही कान्हा पर कौन सा खतरा मंडराया? क्या कान्हा उससे बच पाए? चलिए शामिल होते हैं कृष्ण जन्मोत्सव और पूतना उद्धार में, कान्हा की मस्तीभरी कहानियाँ के
कौन थे कृष्ण के माता पिता, कहाँ हुआ उनका जन्म? जन्म लेने से पहले भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था कान्हा को? कौन परेशानियाँ पैदा कर रहा था? जानते हैं कान्हा के जन्म की अद्भुत कहानी, कान्हा की मस्तीभरी कहानियाँ में ।Who were Krishna's paren