ये मेरी आत्म-कहानी है . अपने कृपालु प्रभु के प्रति, उनकी अनंत करुणा हेतु , उनके सन्मुख ,उनसे ही प्राप्त क्षमताओं के संबल से , हम ,उनके ही शब्द , उनकी ही धुनों से सजा कर ,उनके ही कंठ से मुखर कर , उनकी ही प्रेरणा से , अपनी स्वरांजलि बनाकर उनके श्री चरणों पर अर्पित करते रहे !
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